बछवाड़ा विधानसभा


बेगूसराय जिले का बछवाड़ा जिले की पश्चिम उत्तर में अवस्थित है।यह विधानसभा बछवाड़ा, मंसूरचक,भगवानपुर सामुदायिक विकास प्रखंड से मिलकर बना है।
बछवाड़ा के विधायक
1951: मिठन चौधरी, इंडियन नेशनल कांग्रेस
1957: बैद्यनाथ प्रसाद सिंह, PSP
1962: गिरीश कुमारी सिंह, इंडियन नेशनल कांग्रेस
1967: वी पी सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1969: भुवनेश्वर राय, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1972: रामदेव राय, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1977: रामदेव राय, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1980: रामदेव राय, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (I)
1985: अयोध्या प्रसाद सिंह, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया
1990: अवधेश राय, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया
1995: अवधेश कुमार रॉय, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया
2000:  उत्तम कुमार यादव, राष्ट्रीय जनता दल
2005: रामदेव राय, स्वतंत्र
2005: रामदेव राय, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2010: अवधेश कुमार राय, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया
2015: रामदेव राय, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

उपरोक्त सूची को देखकर आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि बछवाड़ा विधानसभा पर कांग्रेस एवं वामपंथी विचारधारा का व्यापक प्रभाव रहा है। 1985 के पहले इस सीट से कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। हमेशा त्रिकोणीय मुकाबला होता रहा है और सीपीआई मुख्य प्रतिद्वंद्वी की भूमिका में होती है।राज्य में मोदी लहर हो या लालू लहर बछवाड़ा विधानसभा में निशाने पर सीपीआई रहती है।सीपीआई के उम्मीदवार अयोध्या प्रसाद सिंह ने 1985 में पहली बार लाल परचम लहराया था उसके बाद 2000 तक सीपीआई की लगातार जीत होती रही।एक बार राजद के साधारण कार्यकर्ता रहे उत्तम कुमार यादव ने भी यहां से जीत दर्ज की उसके बाद कभी सीपीआई के अवधेश राय और कांग्रेस ने यह सीट जीती।अभी  कांग्रेस के रामदेव राय यहां का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
एन डी ए की लाख कोशिशों के बाद बछवाड़ा पर उसका झंडा नहीं लहरा सका है, हालांकि पिछली लोकसभा के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को यहां भी सीपीआई से अधिक मत मिले थे।
दरअसल एनडीए के मंसूबों पर हमेशा बागी उम्मीदवार ही पानी फेरते रहे हैं।2010 के चुनाव में भाजपा के अरविंद सिंह टिकट के प्रबल दावेदार थे,परन्तु नवादा के सांसद रहे भोला बाबू की बहू ने यह टिकट झटक लिया।  अरविंद सिंह बागी हो गए व निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर दूसरे स्थान पर रहे जीत सीपीआई के अवधेश राय की हुई।भाजपा की उम्मीदवार वंदना सिंह चौथे स्थान पर पहुंच गई।2015 के चुनाव में आखिरी वक्त भाजपा के अरविंद सिंह ने लोजपा के टिकट झटक लिए तो लोजपा से उम्मीदवारी का सपना पाले विनय सिंह निर्दलीय कूद पड़े जीत कांग्रेस के रामदेव राय की हुई।


              बखरी बोले

              तेघड़ा का तेज
इस बार सीपीआई से तो अवधेश राय का टिकट पक्का लगता है तो महागठबंधन के पुराने व माहिर खिलाड़ी रामदेव राय ही उम्मीदवार होंगे।एन डी ए की तस्वीर क्या होगी यह कहना अभी मुश्किल है।वैसे इस सीट से दो दो बार दांव आजमा चुके अरविंद सिंह के साथ उनका पूरा कुनबा उम्मीदवारी की दौर से बाहर हो चुका है।हत्या के पुराने मामले में अरविंद सिंह व उनके परिजन सजायाफ्ता होकर जेल की सलाखों के पीछे बन्द हैं।इस स्थिति में नए उम्मीदवारों की ख्वाहिश पूरी होने की सम्भावना प्रबल है।दूसरी तरफ  खुद औऱ  अपनी पत्नी को चुनाव लड़वा चुके बड़े ठेकेदार विनय सिंह की महत्वाकांक्षा के पूर्ण होने का सुयोग लगता है।
अभी तो महामारी व लॉक डाउन की लुकाछिपी में तस्वीरें धुंधली सी हैं पर चुनाव की घोषणा के बाद स्थिति ज्यादा स्पष्ट हो सकेगी।
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