मटिहानी विधानसभा




मटिहानी विधानसभा क्षेत्र बेगूसराय जिले की एक महत्वपूर्ण सीट है नए परिसीमन के  लागु होने के पश्चात 2008 में यह अपने वर्तमान स्वरूप में अस्तित्व में आया है।  मटिहानी विधानसभा   निम्नलिखित से बना है: मटिहानी और शाम्हो  अकहा  कुरहा प्रखंड , और बरौनी प्रखंड  की केशावे , नूरपुर, महना और मोसादपुर ग्राम पंचायत तथा बेगूसराय सदर प्रखंड के  कैथमा, लाडुवाड़ा, भैरवार, मणियप्पा , चिलमिल, डुमरी, उलाव , सिघौल, पचंबा, महमदपुर रघुनाथपुर, मोहन एघू, शाहपुर, बिशनपुर, धबौली, बिंदपुर, पसपुरा, बहदरपुर, अमरपुर कीरतपुर, रचियाहि , गढ़िया, ग्राम पंचायत बरौनी आईओसी टाउनशिप।
यह व्ही मटिहानी है जहां संसदीय लोकतंत्र में पहली बार बूथ कैप्चरिंग होने की किवंदंती जुडी है ,कहा  जाता है की 1957 में इस विधानसभा के रचियाही बूथ पर पहली बार बूथ कैप्चरिंग हुयी थी।
 2005 के पहले मटिहानी विधानसभा सीपीआई का गढ़ माना  जाता था। 1977 की जनता पार्टी लहर में भी कॉम  सीताराम मिश्रा सीपीआई के टिकट पर पहली बार वामपंथी उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीते थे , परन्तु 1978 में कम्युनिस्ट विधायक सीताराम मिश्र की  हत्या हो गयी। उसके  के बाद 1979  में  हुए उपचुनाव में  ट्रेड यूनियन नेता और चेरिया बरियारपुर प्रखंड के बिक्रमपुर निवासी  देवकीनंदन सिंह ने मटिहानी विधानसभा का चुनाव जीता।  कॉम  सिंह ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (I) के उम्मीदवार वशिष्ठ नारायण सिंह और जनता पार्टी के मिथिलेश कुमार सिंह को हराकर 25,660 मत प्राप्त किए। 1980 व 1985 के चुनावों  प्रमोद कुमार शर्मा ने कांग्रेस के टिकट पर मटिहानी विधानसभा का चुनाव जीता।1990 में  पुनः वामदल सीपीआई की वापसी हुई और सीपीआई के राजेंद्र राजन ने लगातार तीन बार विधायक होने का रिकॉर्ड बनाया।
फरवरी 2005 के  विधानसभा  के चुनाव  में  दबंग माने जाने वाले नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ़ बोगो सिंह ने   सीपीआई के कद्दावर नेता और तीन बार विधायक रहे  राजेंद्र राजन को पटकनी दे दी  पुनः नवंबर में हुए चुनाव में जदयू समर्थित उम्मीदवार के रूप में बोगो सिंह ने कांग्रेस के दबंग उम्मीदवार सर्जन सिंह को हराकर  दुबारा जीत हासिल की।  उसके बाद हर चुनाव में उन्होंने पहले से ज्यादा  मतों के अंतर चुनाव जीता। 
 
वैसे चुनाव की तिथि नजदीक आते ही राजनितिक कार्यकर्ताओं के अरमान हिलोर मारने लगती हैं, हर दल का छोटा बड़ा कार्यकर्त्ता भी उम्मीदवारी की दौर में शामिल हो जाता है तो मटिहानी विधानसभा भी उससे अछूता नहीं है। राजनीती के वर्तमान गठबंधन की बात करें तो कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार होने की पूरी सम्भावना है वामदल भी अपनी उम्मीदवारी अवश्य ही उतारेगा। एक नया दावेदार भी उभरा है फिल्मी कलाकार फूल सिंह। खुद को  फ़िल्मी कलाकार व् मजदूर संघ के नेता कहने वाले फूल सिंह ने हर हालत में यहां से चुनाव लड़ने की खुले तौर पर घोषणा कर  दी है। पछले दिनों पप्पू यादव की मौजूदगी में जनतांत्रिक अधिकार पार्टी की सदस्यता ग्रहण क्र अपनी मंशा पर मुहर भी लगा दी है।    
बोगो सिंह की  आक्रामक छवि सरल सहज स्वभाव  ,जनता से सीधा जुड़ाव व् क्षेत्र की जनता के हर दुःख सुख में खड़ा रहना,खेत्र के कार्यकर्ताओं खासकर युवा वर्ग पर उनकी पकड़ उनकी लगातार सफलता का मंत्र है। अपने विधानसभा में विकास कार्यों के प्रति उनकी सजगता भी सबकी जुबान पर है।
वर्तमान राजनितिक स्थिति की बात करें तो उनका टिकट भी पक्का है और जीत भी लगभग पक्की है अगर एनडीए की केमिस्ट्री बदलती है और महागठबंधन का स्वरूप बदलता है,वामदलों को सम्मानजनक सीटें देकर यदि कोई नया समीकरण बनता है तो ही बोगो बाबू के किस्मत को ग्रहण लग सकता है। 

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