शहर के चौक

तिलकुट बनाने वाले कारीगर चीनी, गुड़ और तिल की धींगामस्ती में लगे हुए हैं। कहीं पर कड़ाह में चीनी खौल रही है और कहीं गुड़। कहीं गुड़ या चीनी के तगाड़ के साथ तिल की कुटाई हो रही है। कारीगर दिन-रात एक कर बेहतर से बेहतर क्वालिटी बाजार में उतारने में जुटे हुए हैं। तकिया रेलवे गुमटी के समीप स्थित जेके मिष्ठान भंडार के दुकानदार जीतेन्द्र प्रसाद ने बताया कि मकर संक्रांति से पहले ही यहां पर तिलकुट की मांग बढ़ जाती है।
बल्कि यह कहें कि ठंड शुरू होते ही सासाराम में तिलकुट बनने लगता है। यहां के तिलकूट की अलग पहचान है। उन्होंने बताया कि खोवा का तिलकुट 260 रुपये और बगैर खोवा का तिलकुट 200 रुपये किलो की दर से बेचा जा रहा है। लोग गुड़ से बने तिलकुट को भी खूब पंसद कर रहे हैं। हालांकि, लॉकडाउन के कारण बिक्री पर कुछ असर पड़ा है। दुकान पर तिलकुट बना रहे कारीगर राकेश प्रसाद, कृष्णा प्रसाद, कमलेश पाठक ने बताया कि तिलकुट को पहले मध्यम आंच पर रोस्ट किया जाता है। इस दौरान इसे लगातार चलाते रहना पड़ता है।
तिल के भुंज जाने के बाद इसे धीमी आंच पर गुड़ की चाश्नी या चीनी में डालकर अच्छी तरह मिलाया जाता है। फिर इसे लगातार कूटने की प्रक्रिया चलती है। इसके बाद इसे गोल या मनचाहा आकार दे दिया जाता है। उन्होंने बताया कि यहां पर तिल एवं गुड़ का लड्डु भी उच्च क्वालिटी का मिलता है। तिल एवं गुड़ के लड्डू पेट के लिए बहुत गुणकारी होते हैं।