कोरोना वायरस की जांच विधियां


नावेल कोरोना वायरस की जाँच के लिए कौन सी जाँच प्रक्रिया उत्तम और सटीक  है?

फ़िलहाल  तीन  तरह की जाँच पीसीआर टेस्ट और रैपिड एंटीजन टेस्ट उपलब्ध हैं। रैपिड एंटीजन 20 मिनट  में और पीसीआर टेस्ट 12 घंटे में यह बताता है की मरीज कोरोना पॉजिटिव है की नहीं। टू नेट टेस्ट 
पीसीआर टेस्ट :_  मरीज की नाक  या गले से रुई के फाहे से सैंपल लेकर प्रयोगशाला में जाँच की जाती है। परीक्षण के परिणाम 12  से 16  घंटे में आते हैं।  इस विधि में वायरस के अनुवांशिक सूत्र  आर एन ए की जाँच की जाती है 

प्रमाणिकता : इस  प्रणाली की विश्वसनीयता  60%  है। इस विधि में कोरोना संक्रमित मरीजों के भी नेगेटिव रिजल्ट्स आ सकते हैं। अतः मरीजों के लक्षण को देखकर उसे समुचित सलाह दिए जाने की जरुरत है। 


 रैपिड एंटीजन टेस्ट

 कोरोना वायरस के संक्रमण का परीक्षण की यह विधि ज्यादा विश्वसनीय है।

इस विधि में सैम्पल नाक से फाहे लिया जाता है और परीक्षण के बाद किसी व्यक्ति को कोरोना हुआ था यह भी पता चल जाता है।इस टेस्ट के परिणाम 20 मिनट में आ जाते हैं।
टेस्ट की विश्वसनीयता: यदि परीक्षण सकारात्मक है, विश्वसनीयता लगभग 100% है।लेकिन इस टेस्ट में निगेटिव पाए गए व्यक्तियों के 30 से 40% लोगों के positive होने के चांसेज हैं ऐसे मरीजों की PCR विधि से जांच कर निश्चिन्त होना चाहिये। लेकिन मामलों की 30-40% में यह नकारात्मक हो सकता है।

To नेट विधि: इस विधि में भी सैंपल नाक या गले से रुई के फाहे द्वारा लिये जाते हैं और वायरस के RNA DNA को तोड़कर उसके न्यूक्लियस की जांच मशीन द्वारा की जाती है।

इस जांच विधि के परिणाम तीन घण्टे में आ जाते हैं।
परिणाम के सही होने की सम्भावना: 60 से 70 प्रतिशत
संक्रमित व असंक्रमित व्यक्ति का एंटीबॉडी टेस्ट:
वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना से संक्रमित मरीज जब कोरोना वायरस से लड़ता है तो उसका शरीर एक सप्ताह तक एंटीबॉडी तैयार करता है।9 वें से 14 वें दिन तक मरीज के खून के नमूने की जांच में एंटीबॉडी के होने का पता चल जाता है। 
इस टेस्ट के परिणाम एक घण्टे में उबलब्ध हो जाते हैं।
इसके टेस्ट के रिजल्ट की विश्वसनीयता भी सही है।इस टेस्ट में सीधे सीधे कोरोना वायरस की उपस्थिति का पता नहीं चलता पर एंटीबॉडी की मौजूदगी के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अमुक व्यक्ति कोरोना का शिकार हुए थे परंतु वायरस के माइल्ड रूप से संक्रमित व्यक्तियों की सटीक एंटीबाडी का पता करने में यह विधि सफल नहीं है।

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