शिकागो में ५ साल के कम आयु के 46 बच्चों पर किये गए अनुसंधान के नतीजों में शोधकर्ताओं ने यह दावा है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, 23 मार्च से 27 अप्रैल तक 145 रोगियों की एक समूह पर परीक्षण किए गए। परीक्षण के लिए गए समूह के बच्चों में नावेल कोरोना हल्के लक्षण के साथ रोग के आम लक्षणों भी थे । इन रोगियों को उम्र के अनुसार समूहों में विभाजित किया गया। पहले समूह 5 वर्ष तक की आयु के 46 बच्चों से बना था । दूसरे समूह में बच्चों की उम्र 5 से 17 साल की थी इसमें ५१ बच्चे शामिल थे। तीसरे समूह में 18-65 वर्ष 48 बच्चे व् उनके माता पिता शामिल थे।
शोधकर्ताओं ने यह पाया की सबसे कम उम्र के बच्चों नावेल कोरोना के वाहक हो सकते हैं।
शोधकर्ता टेलर Hield सार्जेंट के अनुसार, सबसे ज्यादा वायरस बच्चों की श्वांस नलियों में पाया गया जिसकी वजह से संक्रमण के और तेजी से फैलने का खतरा बढ़ जायेगा।
शोधकर्ताओं ने कहा की बच्चों का रहन सहन और व्यवहार ऐसा है की उनके संक्रमित होने व् उनसे संक्रमण फैलने का जोखिम ज्यादा है। उन्होंने यह भी कहा की शोध किये गए समूह का आकर बहुत छोटा है यह शोध और बड़े समूहों पर किये जाने की जरूरत है।