
जिला परिषद का पांच साल का कार्यकाल खत्म हाेने में अब महज छह माह शेष है। साढ़े चार साल बीत जाने के बाद भी जिला परिषद की बैठक में लिए गए ज्यादातर महत्वपूर्ण निर्णय फाइलाें में ही कैद हाेकर रह गए हैं। जबकि 10-12 कराेड़ रुपए अलग-अलग मद में पड़े हुए हैं। शुरुआती साल ताे अध्यक्ष और सदस्याें काे कार्यप्रणाली समझने में ही बीत गया।
फिर सृजन घाेटाला उजागर हाे गया, जिस कारण से करीब डेढ़ साल बीत गया और एक भी काम नहीं हाे सका। जिला परिषद के बैंक खाते से भी सृजन घाेटाले में करीब 100 कराेड़ रुपए की हेराफेरी की गई थी, जिससे पूरा मामला अटका रहा। इसके बाद पिछले साल से गतिविधि तेज हुई। हर प्रखंड में विवाह भवन बनाने से लेकर पंचायत प्रशिक्षण केंद्र के निर्माण के निर्णय लिए गए।
लेकिन प्रशासनिक अफसराें की सुस्ती की वजह से मामला फंसा रहा। फिर काेराेना से याेजनाएं फाइलाें में फंसी रहीं। अविश्वास प्रस्ताव आने से भी जिला परिषद की राजनीति गरमा गई। मार्च में चुनाव काे लेकर घाेषणा हाेने की संभावना है। आचार संहिता लागू हाेने से काेई काम नहीं हाेगा, ताे इस चिंता की वजह से सदस्याें का सब्र टूटने लगा है और काम नहीं हाेने का ठीकरा अफसराें पर फाेड़ने की तैयारी तेज हाे गई है।
डीडीसी लिखित में दें कि जिप कार्यालय में समय देंगे या नहीं : टुनटुन
जिला परिषद अध्यक्ष अनंत कुमार उर्फ टुनटुन साह ने ताे डीडीसी सह जिप के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सुनील कुमार के खिलाफ माेर्चा खाेल दिया है। उन्हाेंने इसकाे लेकर मुख्यमंत्री से लेकर जिलाधिकारी तक काे गुरुवार काे पत्र भेजा है, जिसमें डीडीसी के खिलाफ शिकायताें की लंबी फेहरिस्त है। पत्र में जिला परिषद अध्यक्ष ने कहा कि जब से डीडीसी सुनील कुमार की नियुक्ति जिला में हुई है, तब से जिला परिषद कार्यालय मुख्य कार्यालय पदाधिकारी के रूप में वे समय नहीं दे रहे हैं। कहने पर टालमटाेल करते हैं। डीडीसी कम से कम एक घंटा यहां के कक्ष में आकर कामाें का निपटारा करें। वह लिखित जवाव दें कि जिप कार्यालय में समय देंगे या नहीं।