
ऐसा भी होता है। सारण की पुलिस ने बिना एफआईआर किए जितेंद्र कुमार को जेल भेज दिया। जेल भेजने के 33 दिन बाद तब एफआईआर की, जब इस बारे में पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायमूर्ति एस. कुमार की खण्डपीठ ने इस मामले को सुनते हुए पुलिस की कार्यशैली पर गहरी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि जितेंद्र को 6 हफ्ते में 5 लाख रुपया मुआवजा के रूप में दिया जाए; डीजीपी दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई कर कोर्ट को बताएं।
ये है मामला
जितेंद्र कुमार ड्राइवर है। वह यूपी का निवासी है। वह अन्नपूर्णा इंटरप्राइजेज (मेरठ) में काम करता है। दूध का टैंकर चलाते हुए बिहार आया था। 29 अप्रैल 2020 को उसके टैंकर से परसा (सारण) में एक व्यक्ति को धक्का लग गया। जितेंद्र टैंकर लेकर भाग गया। लेकिन थोड़ी देर बाद पकड़या। पुलिस ने उसे जेल भेज दिया। उसकी कम्पनी ने पटना हाईकोर्ट में 15 मई को याचिका दायर की। 4 जून को सुनवाई में परसा थाना के थानाध्यक्ष की रिपोर्ट पेश की गई। खुलासा हुआ कि 3 जून को एफआईआर हुई।
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