
आंखों से पीड़ित मरीजों पर भी कोरोना का असर पड़ा है। राजेंद्रनगर नेत्र चिकित्सालय में पहले जहां हर दिन 350 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते थे और 90 से 100 मरीजों का ऑपरेशन होता था। वहीं, अब अस्पताल आने वाले मरीजों की संख्या 150 रह गई है। और 25 से 30 मरीजों का ऑपरेशन हो रहा है।
कोविड को देखते अस्पताल में 150 की जगह 30 से 35 मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। 5 बेड इमरजेंसी मरीजों के लिए आरक्षित है। इसकी वजह से आंख से पीड़ित मरीजों को ऑपरेशन के लिए कई सप्ताह का इंतजार करना पड़ रहा है। लॉकडाउन से पहले जनवरी 2020 में 1600, फरवरी में 1200 और मार्च में 1000 ही मरीज रह गए।
जबकि, लॉकडाउन खुलने के बाद अक्टूबर में 450, नवंबर 600 मरीजों की संख्या रही। हालांकि, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि कोशिश की अस्पातल आने वाले सभी मरीजों का इलाज अच्छी तरह से हो सके। इसको देखते हुए कोविड संक्रमण को देखते हुए अस्पताल में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम है।
कोविड की वजह से अस्पताल में मरीजों की संख्या में काफी कमी हुई है। ऑपरेशन के साथ ही मरीजों के चेकअप भी प्रभावित हुआ है। हालाकि कोविड को देखते हुए अस्पातल में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। -विक्की कुमार, नेत्र चिकित्सालय
60% मोतियाबिंद के मरीज
अस्पताल प्रबंधक विक्की कुमार का कहना है कि अस्पताल आने वाले मरीजों में 60 फीसदी मोतियाबिंद के होते हैं। 2018 में राजेंद्रनगर नेत्र चिकित्सालय में लगभग 17500 मरीजों के आंख का ऑपरेशन हुआ था। जिसमें 10200 मरीज मोतियाबिंद से संबंधित थे। जबकि लगभग एक लाख से अधिक मरीजों का चेकअप किया गया था।
इसी तरह 2019 में ऑपरेशन होने मरीजों की संख्या लगभग 19 हजार थी। जनवरी 2020 में 1600, फरवरी में 1200 और मार्च 1000 मरीजों का ऑपरेशन हुआ था। जबकि तीन महीने में 27 हजार मरीजों के मेडिकल चेकअप किया गया था। लॉकडाउन लगने के बाद मरीजों की संख्या में तेजी से कमी आई।