कोरोना की जांच करने वाले कर्मियों के लिए भी नहीं है पीपीई किट और हैंडवॉश


कोरोना की जांच करने वाले कर्मियों के लिए भी नहीं है पीपीई किट और हैंडवॉश।

 कोरोना स्वास्थ्यकर्मियों पर कहर ढहाने लगा है। सदर अस्पताल में कार्यरत 16 तकनीशियन में से 14, जिला के 20 एमबीबीएस व सर्जन, 10 आयुष चिकित्सक, 35 एएनएम एवं जिला स्वास्थ्य समिति के 50 से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मी अब तक संक्रमित हो चुके हैं। इसके अलावे कोरोना से संक्रमित होकर एक टेक्नीशियन का 40 फीसदी लंग्स भी संक्रमित हो गया है।

जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल में कोरोना से स्वास्थ्यकर्मियों को बचाने के लिए पुख्ता इंतजाम भी नहीं है। सदर अस्पताल की व्यवस्था का पड़ताल किया गया तो पता चला कि इसके पीछे अस्पताल प्रशासन की लापरवाही बड़ी वजह है।

आपको बता दें कि टीवी वार्ड के एक छोटे से कमरे में ट्रूनेट मशीन लगी हुई है। जहां पर ना तो एसी की सुविधा उपलब्ध है और ना ही हाथों की सफाई की सुविधा है, जिसके कारण संक्रमण का खतरा काफी है। यहां प्रत्येक दिन आठ -आठ घंटे के शिफ्ट पर टेक्नीशियन काम करते हैं। वह भी बिना पीपीई कीट पहने हुए। इन स्वास्थ्यकर्मियों को सीधे संक्रमित मरीजों के स्वाब की जांच करना पड़ता है।

इसको लेकर लैब टेक्नीशियन में काफी नाराजगी है। कर्मियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि अधिकारियों के डर से जान जोखिम में डालकर स्वाब की जांच करनी पड़ रही है और हम सभी संक्रमित हो रहे हैं।

हाथ धोने के लिए जाना पड़ता है चापाकल पर

एक टेक्नीशियन ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि हैंड वॉश की सुविधा तक नहीं होने की वजह से उन्हें चापाकल पर हाथ धोने के लिए जाना पड़ता है। जहां चापाकल ऐसा है कि थोड़ी सी चूक हुई तो दुर्घटना हो जाए। टेक्नीशियन के अनुसार हैंड वॉश की सुविधा नहीं होने के कारण संक्रमण का खतरा काफी रहता है। वही चापाकल पर हाथ धोने की वजह से अन्य लोग के संक्रमण होने की भी खतरा बढ़ जाता है।

इधर हाल के दिनों में संक्रमित होने के कारण घर में इलाज करा रहे एक टेक्नीशियन ने दूरभाष पर बताया कि कोरोना के कारण उनका 40 फीसदी लंग्स संक्रमित हो गया है। लेकिन एक भी स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी ने उनसे फोन पर भी हाल-चाल पूछने का काम नहीं किया है। जब उन्होंने एक स्वास्थ्य विभाग के बड़े पदाधिकारी से दूरभाष पर दवा पूछा तो कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से पर दवा का नाम भेज देते हैं। लेकिन कई दिन हो गए आज तक दवा का नाम नहीं भेजा है।

चिकित्सकों के लिए भी नहीं है पीपीई किट मास्क के बल पर करते हैं इलाज

सदर अस्पताल के रूम नंबर 6 एवं 12 में चिकित्सकों द्वारा मरीजों का इलाज करने की स्थिति की जब पड़ताल की गई तो पता चला कि चिकित्सकों के लगातार संक्रमित होने के बावजूद पीपीई किट पहने ही मरीजों का इलाज कर रहे थे। दूसरी ओर सदर अस्पताल के ऊपरी मंजिल पर ब्लड टेस्ट रुम में टेक्नीशियन मास्क एवं हैंड ग्लव्स पहनकर सैंपल ले रहे थे।

जल्द ही हैंडवॉश की सुविधा उपलब्ध होगी : आनंद कुमार

इस संबंध में जब अस्पताल अधीक्षक आनंद शर्मा से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ट्रूनेट लैब में एसी लगाने का प्रावधान नहीं है, लेकिन जल्द ही एग्जास्ट एवं हैंड वॉश की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि सभी लैब टेक्नीशियन जान जोखिम में डालकर काम करते हैं। ऐसे में कर्मियो को उनके द्वारा समय-समय पर सावधानी बरतने को लेकर निर्देशित किया जाता है। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को पीपीई कीट पहनना चाहिए। लेकिन नहीं पहनते हैं।



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सदर अस्पताल में ट्रीनेट लैब में बिना पीपीई किट का टेस्ट करते टेक्नीशियन।
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