अलौली की आहट

 

अलौली सुरक्षित विधानसभा सभा खगड़िया जिले व 
खगड़िया लोक सभा क्षेत्र का हिस्सा है।इस विधानसभा में
 अलौली सी डी ब्लॉक तथा खगड़िया सीडी ब्लॉक की 
बरैय, रानी सकरपुरा, बेलसिमरी,ओलापुर, गंगौर, तेतरा 
बाद,जलकौरा, जहांगिरा एवं धुसमुरी बिशनपुर ग्राम 
पंचायत शामिल हैं। wikipedia 
वर्ष        सदस्य                                                    राजनीतिक दल
1962  मिश्री सदा                                               भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1967  मिश्री सदा                                                भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1969  रामविलास पासवान                                 सं सो पा
 1972  मिश्री सदा                                               भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
 1977  पशुपति कुमार पारस                               जनता पार्टी
 1980   मिश्री सदा                                              भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
 1985  पशुपति कुमार पारस                                लोक क्रांति दल
 1990  पशुपति कुमार पारस                                जनता दल
 1995  पशुपति कुमार पारस                                 जनता दल
 2000  पशुपति कुमार पारस                                 जनता दल (यूनाइटेड)
 2005  (फरवरी) पशुपति कुमार पारस                   लो ज  पा
 2005  (अक्टूबर) पशुपति कुमार पारस                  लो ज  पा
 2010  राम चंद्र सदा                                             जनता दल (यूनाइटेड)
 2015  चंदन कुमार                                              राष्ट्रीय जनता दल

स्रोत विकिपीडिया

उपरोक्त सूची से आप यह सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि अलौली विधानसभा से सबसे ज्यादा समय लोजपा सुप्रीमो का कब्जा रहा है।रामविलास पासवान ने इसी विधानसभा से संसदीय राजनीति की शुरुआत की थी। 1969 से शुरू हुआ उनका राजनीतिक सफर आज तक जारी है।उनकी जीत के बाद उनके अनुज श्री पशुपति कुमार पारस ने इस विधानसभा की विरासत संभाली और 2010 तक उनका कब्जा बरकरार रहा।2010 में जदयू तो 2015 में राजद के उम्मीदवारों के हाथों उन्हें पराजय का मुहं देखना पड़ा।हालांकि उनका राजनीतिक वनवास ज्यादा दिन नहीं रहा।एन डी ए में शामिल होने के बाद वो बरास्ता विधान परिषद  सदन में पहुंचे औऱ मंत्री बने।फिलहाल वो अपने बड़े भाई द्वारा खाली की गई सीट से सांसद हैं।

अलौली विधानसभा में परिसीमन के पश्चात हुये बदलाव की वजह से माय समीकरण वाले वोटों का बढ़ना भी सुप्रीमो के परिवार की पकड़ कमजोर करने में सहायक रहा है।वर्तमान में राजद के चंदन कुमार यहां के विधायक हैं।महागठबंधन बने रहने की स्थिति में सम्भवतः चंदन कुमार ही यहां से प्रत्याशी होंगे।एन डी ए की ओर से लोजपा के उम्मीदवार होंगे यह तो तय है परंतु पासवान परिवार में अभी उम्मीदवारों का टोंटा है।परम्परागत तौर पर इस परिवार की महिलाओं ने अभी तक चुनावी दंगल में कदम नहीं रखा है और अभी इनके परिवार का कोई उम्मीदवार के चुनाव लड़ने योग्य नहीं है।यह भी पक्का है कि सुप्रीमों इस सीट की विरासत परिवार के ही किसी व्यक्ति को सौपना चाहेंगे।ऐसी स्थिति में उनकी पहली पत्नी की पुत्री को पिता व चाचा की विरासत सौंपी जा सकती है ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं।लोजपा के एनडीए में बने रहने की स्थिति में इसबार जीत की सम्भावना भी प्रबल दिखती है।

एक टिप्पणी भेजें (0)
और नया पुराने