नहीं रहे कॉम सत्यनारायण सिंह


कोविद 19 से जूझ रहे बेलदौर चौथम के पूर्व विधायक सीपीआई के राज्य सचिव 78 वर्षीय कॉम सत्य नारायण सिंह का कल पटना के AIIMS में निधन हो गया।कोरोना के लक्षण पाए जाने पर उन्हें 25 जुलाई 2020 को पटना के रुबन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।उनकी गम्भीर स्थिति को देखते हुए यहां से AIIMS रेफेर कर दिया गया,एम्स के डॉक्टरों ने प्लाज्मा थेरेपी की सलाह दी थी पर उसके बाद भी डॉक्टर उन्हें नहीं बचा सके।कल ही कोविद 19 प्रोटोकॉल का अनुरूप पटना के बांसघाट के विद्युत शवदाह केंद्र में उनका अंतिम संस्कार किया गया।बंदिशों के बीच एक लड़ाका गुमसुम माहौल में अंतिम यात्रा में चला गया।



उनके निधन से वाम जनवादी आंदोलन को गम्भीर क्षति पहुंची है।कॉम सत्यनारायण सिंह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के राज्य सचिव व केंद्रीय समिति सदस्य भी थे।
सत्यनारायण सिंह का जन्म पुराने मुंगेर जिले(अब खगड़िया) के चौथम प्रखंड के कैथी ग्राम में हुआ था।   उनके पिता किसान थे,गांव के सरकारी स्कूल से प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद मुंगेर के जिला स्कूल से उन्होंने मेट्रिक की परीक्षा उतीर्ण की।फिर भागलपुर के टी एन बी कॉलेज से इंटरमीडिएट व स्नातक व भागलपुर विश्वविद्यालय से दो दो विषयों में स्नातकोत्तर की डिग्री ली। फिर उन्होंने  LLB किया। एक कॉलेज में प्रध्यापक नियुक्त हुए ,शिक्षक की नौकरी जब रास नहीं आयी तो प्रध्यापक की नौकरी छोड़ सीपीआई के पुरावक्ती सदस्य बन वाम जनवादी संघर्ष की राह पकड़ ली।
उनका राजनीतिक सफर वाम जनवादी आंदोलनों के रास्ते शुरू हुआ, उनके गृह जिले में है फरकिया, जिसे सर्वे कराने में अक्षम रहे साहबों ने फरक कर दिया था। इसी फरकिया में अपने ही स्वजातीय व अन्य बाहरी जमींदारों के खिलाफ उन्होंने बी के सिंह आज़ाद,कृष्णकांत सिंह के साथ मिलकर एक जबरदस्त भूमि दखल आंदोलन चलाया था  इन नेताओं के नेतृत्व में सीलिंग से फाजिल,गैर मजरुआ व बेनामी जमीनों पर भूमिहीन किसानों व खेतिहर मजदूरों का भूमि दखल आंदोलन चला। इस आंदोलन की  वजह से वो गरीबों,भूमिहीनों के नायक बनकर उभरे। भूमि संघर्ष व जनवादी आंदोलनों की वजह से 1969 में मुखिया का चुनाव जीता, प्रखंड प्रमुख बने और लगातार दो बार चौथम से विधायक भी रहेF और वहीं कॉम सत्यनारायण की मुखिया से लेकर प्रमुख व विधानसभा तक का सफर इसका पूर्ण अपवाद था।उनकी लोकप्रियता आज तक बनी हुई है।कॉम सत्यनारायण सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन में गरीबों मजदूरों के लिए अनगिनत लड़ाइयां लड़ी और जीती पर कोविद से जीत नहीं पाए।उनका इस तरह अचानक जाना  सम्पूर्ण वाम जनवादी आंदोलन के लिए गहरे सदमे जैसा है,सीपीआई ने तो अपना अभिभावक ही खो दिया।
उनकी संघर्ष तेवर ने ही उन्हें मौत के करीब ला दिया।आज जब देश के बड़े नेता या तो घरों में दुबके हुये हैं दूसरी तरफ सत्यनारायण सिंह जैसे नेता महामारी के खतरों के बीच इस उम्र में भी जनता के बीच कार्यरत थे।जनता से उनकी नजदीकी ही शायद उन्हें इस जानलेवा वायरस के सम्पर्क में ले आया।गरीबों,मजदूरों,किसानों के संघर्ष का यह योद्धा आखिर कोरोना की जंग हार गया। 
 वाम एकता के सदैव पक्षधर रहे लाल क्रांतिकारियों के बॉस का इस तरह गुपचुप चले जाना वाम आंदोलन के लिये झटका है।
उनकी मृत्यु से आहत सीपीएम के सचिव अबधेश कुमार,सीपीआई माले के राज्य सचिव कुणाल नें शोक जताया व श्रद्धांजलि अर्पित की।

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