वाहन लगभग उतने ही, लेकिन जहां पेड़ वहां प्रदूषण कम, जहां कटे वहां हवा हुई जहरीली

पटना के तारामंडल और इनकम टैक्स गोलंबर का इलाका सबसे प्रदूषित है। यहां लगातार पेड़ों की कटाई हो रही है। साथ ही वाहनों का दबाव भी यहां सबसे ज्यादा रहता है। तारामंडल के आसपास, बेली रोड के इलाके और इनकम टैक्स गोलंबर को छोटा करने के दौरान लगभग 150 से 200 की पेड़ों की कटाई हो गई। साथ ही सिन्हा लाइब्रेरी के पास वाहन चेकिंग पोस्ट भी बन गया।

नतीजा यह हुआ कि इस इलाके में वाहनों का दबाव बढ़ा, जिससे प्रदूषण में इजाफा हुआ। इनकम टैक्स गोलंबर, डाकबंगला चौराहा, रेलवे स्टेशन आदि इलाकों में 280 से 462 तक एक्यूआई लेवल ‘खतरनाक’ रहता है। आज से दस साल पहले एक्यूआई लेवल इन इलाकों में भी बेहतर रहा करता था। वहीं जो इलाके हरे भरे हैं, वहां एक्यूआई लेवल अभी भी कम रहता है। बीआईटी मेसरा और इको पार्क इलाके में 162 से लेकर 380 तक अधिकतम एक्यूआई लेवल रहता है।
ट्रांसप्लांट किए गए, उसमें से 70 फीसदी पेड़ों की हो गई मृत्यु: पटना में सड़क निर्माण, भवन निर्माण सहित अन्य वजहों के कारण लगातार पेड़ को काटा या ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। आर ब्लॉक-दीघा सड़क निर्माण के समय बड़े-बड़े पेड़ को उखाड़कर दूसरे जगहों पर लगाया गया है। लेकिन इसमें से करीब 70 फीसदी ट्रांसप्लांट पेड़ों की मृत्यु हो चुकी है। मात्र 30 फीसदी पड़े जीवित है। आर ब्लॉक से हड़ताली मोड़ तक दीघा सड़क किनारे और डिवाइडर पर लगाए गए 30 में से 22 पेड़ सूख गए हैं। सिर्फ 8 पेड़ जीवित बचे हैं। जानकारों के माने तो करीब एक हजार बड़े पेड़ों को काट दिया गया है।

प्रकृति पर दिखावटी सुंदरता बेमानी : 30 पेड़ हुए थे ट्रांसप्लांट, 22 सूखे

पटना में पेड़ों की ट्रांसप्लांट योजना पूरी तरह विफल रही है। पटना जू में कई पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया है। वहां भी कई पेड़ सूख चुके हैं। आर ब्लॉक-दीघा सड़क के किनारे कई पेड़ सूख चुके है। इनकी देख-रेख की जिम्मेदारी वन विभाग की है। हालांकि, सूखे हुए पेड़ों पर पेटिंग कराकर जब पेड़ सूख गई तो विभाग उसके डिजाइन बना रही है। सड़कों की शोभा बढ़ाने के लिए सभी सूखे पेड़ को पेटिंग करा रही है। अभी तक करीब चार-पांच की संख्या में पेड़ों को पेटिंग कर चुकी है।
शहर वासियों को वायु प्रदूषण से मिली थोड़ी राहत

शहर वासियों को गुरुवार को भी वायु प्रदूषण से थोड़ी राहत मिली है। लेकिन बुधवार की तुलना में गुरुवार को अधिक वायु प्रदूषण रहा है। शहर के छह मॉनिटरिंग मशीन के 24 घंटे का अपडेट एवरेज पटना के एक्यूआई लेवल 279 रहा है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल के मानक कहता है कि 201 से 300 के बीच में एक्यूआई लेवल है तो उस जगह की हवा खराब है। यानी लोगों को वायु प्रदूषण से थोड़ी राहत है। वहीं मुजफ्फर के एक्यूआई लेवल 255 है जबकि गया के 141 हैं।
बेली रोड पर पहले की तरह पेड़ नहीं है। पटना वीमेंस कॉलेज, इनकमटैक्स चौराह के आस-पास हरे-भरे पेड़ों की संख्या कम गई है। पेड़ के हरे-भरे पत्तियां वायु प्रदूषण को कम करती है। -डॉ. सुशील कुमार सिंह, विभागाध्यक्ष, पर्यावरण एवं जल प्रबंधन विभाग, ए.एन. कॉलेज

तारामंडल के पास आज से दस साल पहले इतना वायु प्रदूषण नहीं होता था। ग्रीन कवर नहीं होने और बेली रोड पर काफी ज्यादा ट्रैफिक होने और तारामंडल के ठीक सामने चेक पोस्ट बना देने के कारण प्रदूषण बढ़ा है। -डॉ. एके घोष, अध्यक्ष, बिहार प्रदूषण नियंत्रण परिषद



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पटना में पेड़ों की ट्रांसप्लांट योजना पूरी तरह विफल रही है। पटना जू में कई पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया है। वहां भी कई पेड़ सूख चुके हैं।
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