करोड़ों की लागत से बना श्री कृष्ण सेतु बेकार,टूट रहा है सब्र


Munger Times /30 दिसम्बर 2020

इसे   लापरवाही  कहें या लोगोंं के  भावनाओं की  उपेक्षा मुंगेर में करोड़ों की लागत से बना रेल सह सड़क पूल महीनों या कहें तो वर्षों से बेकार पड़ा है। माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की विशेष पहल पर इस पूल पर ट्रेन का परिचालन शुरू हुआ।उसके बाद गया और भागलपुर से सहरसा के लिये ट्रेन चालू हुई। कई बार भागलपुर मुजफ्फरपुर जनसेवा के इस पूल से होकर परिचालन की विज्ञप्ति भी दी गयी पर पता नहीं किसने और क्यों साजिश की और अखबारों की विज्ञप्ति भी अमल में नहीं आ सकी। कोरोना की वजह से शुरू हुई लॉक डाउन के बाद तो इस पूल की पटरियां सुनी ही हो गयी।पिछले  9 महीनों से इस पूल से यात्री गाड़ियों का परिचालन ठप है।लोग जान हथेली पर लेकर पुल की पटरियों से पैदल यात्रा कर रहे हैं।इस बीच पूल पर लूटपाट की खबरें भी आ रही है ।
अब सड़क पथ के परिचालन की बात करें तो इसके अप्रोच पथ बनाने की प्रक्रिया में घोर प्रशासनिक लापरवाही और उपेक्षा सामने आ रही है। अप्रोच पथ के लिये केंद्र व राज्य सरकार की मंजूरी मिलने के बाद भी कई अवरोध आ रहे हैं। इस पूरे प्रकरण में किसी सुनियोजित साजिश की गंध दिखाई दे रही है।उधर नाव परिचालन में लगे लोग खूब माल लूट रहे हैं।यात्रियों के लिए व बाइक के लिये 30 रुपये वसूल किये जा रहे हैं। यंत्र चलित अवैध नौका परिचालन आखिर किस की सह और किसके लाभ के लिये हो रहा है यह जांच का विषय है।
सबसे बड़ी बात योजनाओं को बनाने में सरकार की लापरवाही या लोभ की बात सामने आती है।इतनी बड़ी लागत से बनने वाली परियोजना के प्लानिंग की सबसे बड़ी त्रुटि यह है कि जब सड़क श रेल पुल की करोड़ों की परियोजना बनी तो उस समय अप्रोच पथ के लिये प्लानिंग क्यों नहीं बना। अगर रेल के लिये जमीन ली गयी तो साथ साथ सड़क के लिये भी जमीन उस वक्त ही क्यों नहीं अधिग्रहित की गई।
अब जो सुनने में आ रहा है कि सम्पर्क पथ की एलाइनमेंट में बार बार बदलाव हो रहा है। किसानों द्वारा विरोध की वजह से इसमें बदलाव करना पड़ रहा है। दूसरी बात यह है पूल के दोनों ओर यातायात हेतु सड़क उपलब्ध है तो तत्काल प्रभाव से पूल के अप्रोच को उस सड़क से जोड़ दिया जाए तो कम से कम छोटे व दोपहिया वाहनों का परिचालन कब का शुरू हो सकता था।
इस ओर कई जागरूक नागरिकों द्वारा केंद्र व राज्य सरकारों का ध्यान आकृष्ट करवाने के बावजूद इसपर अमल क्यों नहीं किया जा सका।
तीसरी अहम बात जनप्रतिनिधियों की भूमिका को लेकर है।बेगूसराय व मुंगेर दोनों लोकसभा से जदयू व भाजपा के कद्दावर नेता प्रतिनिधित्व कर रहे हैं उनकी क्या भूमिका है।जनता जिसने इस पूल के निर्माण के लिये वर्षों संघर्ष किया वो सोई हुई क्यों है।

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