लखीसराय की लड़ाई

Munger Times का चुनावी घोड़ा आ पहुंचा शहर लखीसराय और हम लेंगे जायजा आगामी विधानसभा चुनाव की।लखीसराय विधानसभा काफी संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है यहां के लोग काफी ऊर्जावान और आक्रामक होते हैं।लखीसराय विधानसभा लखीसराय,बड़हिया,रामगढ़ चौक व हलसी विकास खंडों से मिलकर बना है। किंवदंती यह भी है कि लखीसराय विधानसभा बाहुबलियों की मर्जी से ही अपना विधायक तय करता है।
लखीसराय से वर्तमान में भाजपा के श्री विजय कुमार सिन्हा लगातार दूसरी बार विधायक बनें हैं जो अभी बिहार के श्रममंत्री हैं।वो लखीसराय की सीमा से सटे पटना जिले के बादपुर ग्राम के निवासी हैं।स्थायी तौर पर पटना में रहते हैं तथा बड़े व्यवसाइयों में इनका नाम शुमार होता है।इनके बड़े भाई परसन कुमार सिंह दवा के बड़े व्यवसायी और एक दवा फैक्ट्री के मालिक हैं।दवा विक्रेताओं के संघटन BCDA पर वर्षों से काबिज हैं।श्री विजय कुमार सिन्हा का खुद का भी कारोबार है और भवानी ट्रांसपोर्ट नाम की ट्रांसपोर्ट कम्पनी है।
 
क्षेत्र में विजय कुमार सिन्हा की छवि मिलनसार और मृदुभाषी नेता की जिनकी हर वर्ग में पकड़ है।पटना में स्थायी आवास रहने के बावजूद भी ये क्षेत्र की जनता के लिए सर्वसुलभ होते हैं।वैसे इनका हर चुनाव चुनौतियों से भरा रहा है।पिछले चुनाव में महागठबंधन की लहर में इनकी नैया डूबते डूबते बची थी महज कुछ हजार मतों से ये चुनाव जीत गए और किस्मत के इतने धनी की कुछ महीने बाद हुये हृदय परिवर्तन से बनी NDA की सरकार में इन्हें कबीना मंत्री भी मिल गया।इनके मंत्री बनने में भी किस्मत ने जबरदस्त साथ दिया।केंद्रीय नेतृत्व बेगूसराय के तेजतर्रार विधानपार्षद रजनीश कुमार को मंत्री बनाने का निर्णय ले चुका था,परंतु बेगूसराय भाजपा की अंदरूनी कलह और उस वक्त के सांसद भोला प्रसाद सिंह की हठधर्मिता ने उनसे मंत्रिपद छीनकर विजय कुमार सिंहा की झोली में डाल दिया।वैसे एक विधायक व मंत्री के रुप में उनकी सक्रियता सन्तोष जनक है।दो दो बार विधायक रहने,उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से ठीक रिश्ते की वजह से इनका टिकट तो पक्का है लेकिन भाजपा नेताओं की महत्वांकाक्षा को कौन रोक सकता है।पिछली बार इसी महत्वाकांक्षा ने बड़हिया नगर पंचायत के युवा भाजपाई के बागी हो जाने से इनकी जीत को ग्रहण लग गया था।सुजीत कुमार के मान मनोव्वल व शिवसेना के तीर धनुष ने इनकी नैया पार कर दी।हुआ यह था कि महागठबंधन ने बहुत ही पुख्ता योजना के तहत जदयू महिला मोर्चा की नेत्री के पति रामनाथ मंडल को तीर पकड़ा कर अगड़े पिछड़े नारे के भरोसे लखीसराय के मैदान में उतार दिया।वोटों की गिनती भी यह साबित करती है कि नीतीश कुमार ने सही पासा फेंका था।वो तो भला हो शिवसेना के तीर धनुष का जिसने अप्रत्याशित तौर पर 11 हजार से ज्यादा मत बटोर लिए जबकि इनकी जीत का अंतर मात्र 4500 मतों से हुई।इसबार नीतीश कुमार एनडीए के साथ हैं सो तीर का कंटक तो दूर है पर लालटेन या पंजा इनके मंसूबों पर पानी फेरने में पीछे नहीं रहेगा।वैसे भाजपा में भी बाहरी भीतरी के नारे व इनके व्यवहार को खराब बताकर उम्मीदवार बदलने की कवायदें शुरू हो चुकी हैं।परन्तु दो दो बार चुनाव जीतने वाले और मंत्री होते हुए इनके टिकट को लेकर कोई संशय नहीं है।
क्षेत्र में एकबात की चर्चा जोरों से है कि क्षेत्र के सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह पिछली लोकसभा चुनाव में इनके तथाकथित गठबंधन विरोधी कार्यों को लेकर नाराज हैं,जिसका खामियाजा इन्हें आगामी चुनावों में भुगतना पड़ सकता है।हालांकि उनके समर्थकों का कहना है कि विजय बाबू जुत के छोटे जरूर हैं राजनीति के खेल में कच्चे नहीं है हर बार की तरह इसबार भी चुनावी समर में जीत इन्हीं की होगी।चूंकि चुनावी तपिश अभी घर की बैठकों व हवेलियों से बाहर नहीं निकली है तो जनता के मूड का आकलन अभी मुश्किल है।हमारी नजर बनी रहेगी हम पुनः यहां के चुनावी बुखार का थर्मामीटर लगा कर तापमान का जायजा आपके समक्ष प्रस्तुत करेंगे।
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